श्रवण कुमार की भूमिका में बेटियां
- Man Bahadur Singh
- Jun 12, 2024
- 2 min read
Updated: Jun 14, 2024
श्रवण कुमार उस काल खण्ड में पैदा हुए थे जब आम लोग खासकर बुजुर्ग और असमर्थ लोग तीर्थ यात्रा नहीं कर पाते थे और उस काल खण्ड में श्रवण कुमार ने मातृ पितृ भक्ति का एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो हजारों वर्षों बाद आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देने वाला है।
खैर आज हमारे आपके पास पर्याप्त संसाधन हैं कि आप कहीं भी जा सकते हैं और तीर्थ यात्रा कर सकते हैं। लेकिन सब कुछ करते धरते भी यात्रा पर निकलते समय आपके बैग का वजन भारी हो ही जाता है। तब लगता है कि साथ में कोई सहारा देने वाला होता तो अच्छा रहता।
चार धाम यात्रा (यमुनोत्री धाम 10804 फीट, गंगोत्री धाम 10320 फीट, बाबा केदारनाथ धाम 11755 फीट व बद्रीनाथ धाम 10170 फीट) जैसी कठिन यात्रा में हर कदम पर सहारे की जरूरत होती है। दिन भर की थका देने वाली यात्रा या चढ़ाई के बाद बिस्तर से उठने की भी हिम्मत नहीं होती, ऐसे में कोई आपके लिए गरम पानी ला दे, चाय, नाश्ता , खाना और दूध की व्यवस्था आपके बिस्तर पर कर दे, सोते समय जब आप दर्द से कराह रहे हों, कोई आपके पैर दबा दे, जब कोई आपके अगले दिन की यात्रा की रूपरेखा तैयार कर दे और आपके आने, जाने, रुकने की सारी व्यवस्था कर दे , आपके साथ लाठी के सहारे की तरह खड़ा हो, तो वही श्रवण कुमार है।
हम लोग सौभाग्यशाली हैं कि हमारी बेटी हमारे साथ चार धाम यात्रा में श्रवण कुमार की तरह हमारे साथ रही और हम लोग सकुशल अपनी चार धाम की कठिनतम यात्रा को सहजतापूर्वक पूरी कर सके। आज हम लोग बद्रीनाथ धाम से वापसी पर निकल रहे हैं। आज हम लोग रास्ते में रुद्रप्रयाग में विश्राम करेंगे। कल ऋषिकेश पहुंचेंगे।
आप लोग अपना आशीर्वाद और शुभकामनाएं बनाए रखियेगा।
बद्री विशाल हम सभी का कल्याण करें।
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