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  • Writer's pictureMan Bahadur Singh

दवाई और कड़ाई के बीच ढ़िलाई (संवेदना) भी

सरकार, शासन, प्रशासन और पुलिस महकमे को यह समझने की जरुरत है कि इस त्रासदी काल में आम आदमी बेहद मानसिक पीड़ा से ग्रस्त है।मानसिक पीड़ा का कारण यह है कि मौत चारो ओर तांडव कर रही है।लोगों के पास काम नहीं है, भोजन और दवा इलाज के पैसे नहीं हैं। वर्तमान और भविष्य अनिश्चित और अंधकारमय दिख रहा है।


उपर से लोग नित अपने ईष्ट, मित्र, रिस्तेदार, शुभचिंतक व परिवार के लोगों को खो रहे हैं। अपनों को खोने का दर्द उसी को बेहतर पता होता है, जिन्होंने अपनों को खोया है। कोरोना के कहर से आइ. सी.यू. मे पड़ी लकवाग्रस्त व्यवस्था को देखकर हर कोई स्वयं भयभीत है। कोई अनावश्यक बाहर निकल कर जोखिम नहीं उठाना चाहता।


यदि लाकडाउन मे कोई व्यक्ति घर से बाहर जा रहा है तो निश्चित ही वह किसी मजबूरी मे है। या तो वह किसी से आर्थिक या भौतिक मदद लेने जा रहा है या किसी मजबूर को मदद देने जा रहा है। या किसी की तिमारदारी मे जा रहा है। या किसी इष्ट मित्र रिस्तेदार की बिमारी या मृत्यु की सूचना पाकर उनकी मदद के लिए या अन्तिम दर्शन के लिए जा रह हो।


जो भी हो, लाकडाउन के नाम पर सड़क और चौराहों पर बिना पूछे - जाने, पुलिस द्वारा लाठियां भाजंना, गाली गलौज करना, अपमानित करना, प्रताड़ित करना, वसूली करना या चालान करना, बेहद अमानवीय है।

सरकार और पुलिस प्रशासन को समझना होगा कि इस समय लोग सरकारी व्यवस्था और इंतजाम से बेहद नाराज हैं, आक्रोशित हैं और उद्वेलित भी। मजबूरी मे निकल रहे लोगों के साथ ज्यादती या बदसलूकी से लोगों के भीतर उबल रहा आक्रोश बाहर आ सकता है और लोग अपने अंजाम की परवाह किए बिना आक्रामक हो सकते हैं।


सरकार, शासन, पुलिस प्रशासन को यह मनोविज्ञान समझना होगा और उसके अनुरूप लोगों को हैंडल करना चाहिए। कड़ाई के नाम पर की जा रही संवेदनहीनता विस्फोटक हो सकती है। सरकार, शासन, पुलिस व प्रशासन लोगों की सेवा और सुविधा के लिए हैं न कि उन्हें आतंकित करने के लिए, प्रताड़ित करने के लिए या लूटने के लिए।


सरकार, शासन, पुलिस व प्रशासन तक मेरी बात पहुंचे तो मैं निवेदन करना चाहूंगा कि जिम्मेदार अधिकारी अपने मातहतों को थोड़ा संवेदनशील रहने की नसीहत दें। लोगों की परेशानी मे समाधान बनें, मददगार बनें। लोगों के भीतर पनप रहे आक्रोश और भय को शान्त करने का श्रेय लें। और दवाई और कड़ाई के बीच थोड़ी ढिलाई (संवेदनशीलता) भी रखें।

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