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  • Writer's pictureMan Bahadur Singh

चार धाम यात्रा - I

Updated: 2 days ago

सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ । ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ ।।

हाई कोर्ट में ग्रीष्मावकाश आज से शुरू हो गया है। और आज हम सत्तू पिसान लेकर निकल रहे हैं, अपनी चार धाम यात्रा पर। 15 दिन के उत्तराखण्ड प्रवास के दौरान हम मां यमुनोत्री और उनके भाइयों यम और शनि का आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरांत हम गंगोत्री धाम पहुंचकर मां गंगा से जीवन मे पवित्रता, निर्मलता, शीतलता और निरंतरता की याचना करेंगे। तदोपरांत हम देवाधिदेव महादेव बाबा केदारनाथ से जीवन में शिवत्व भाव जागृत करने की कामना करेंगे और फिर बद्री विशाल की शरण में पहुंचेंगे और उनसे अपने जीवन में विशालता का आशीष मांगेगे।


अंतिम चरण में देवभूमि ऋषिकेश में 2 दिन विश्राम करेंगे, सुबह शाम मां गंगा के किनारे स्नान ध्यान होगा और फिर प्रयाग वापसी।


माता पिता और पूर्वजों के संचित पुण्य प्रताप और आप सब के आशीर्वाद से ही हमें अपने जीवन में यह अवसर मिला है। आप सब लोग अपना आशीर्वाद और शुभकामनाएं प्रेषित करते रहिएगा।



उत्तराखंड देवभूमि है। इस भूभाग से निकली अनेकानेक सुर सरिताएं हजारों वर्षों से जीवन, सभ्यता और संस्कृति का आधार रही हैं।


चार धाम की यात्रा में इन सभी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है। मां यमुना यमुनोत्री से निकलकर उत्तर भारत के बड़े भूभाग से गुजरते हुए प्रयागराज पहुंचकर मां गंगा में समाहित हो जाती हैं।


गोमुख में भागीरथी का अवतरण हुआ, जो गंगोत्री धाम से होकर आगे बढ़ती हैं और देव प्रयाग में अलकनंदा से संगम करके गंगा के रूप में जानी जाती है।


अलकनंदा हिमालय से निकलकर बद्री विशाल के धाम से होते हुए नीचे आती हैं और विष्णु प्रयाग में धौली गंगा से संगम करती हैं और धौली गंगा को अपने में समाहित करते हुए नन्द प्रयाग पहुंचती हैं और यहां नंदाकिनी से संगम होता है और नंदाकिनी को समाहित करते हुए अलकनंदा कर्णप्रयाग की ओर बढ़ जाती हैं। कर्णप्रयाग में पिंडार नदी अलकनंदा से संगम करके उनमें समाहित हो जाती है।


वहीं मंदाकिनी हिमालय से निकलकर देवाधिदेव महादेव बाबा केदारनाथ के चरणों की रज लेते हुए आगे बढ़ती है और रुद्र प्रयाग में अलकनंदा से संगम करती है और अलकनंदा मंदाकिनी को स्वयं में समाहित करते हुए आगे बढ़ती है और देव प्रयाग में भागीरथी से संगम करती है और यहां से यह गंगा के रूप मे आगे बढ़ती हैं। इस तरह उपर बद्री विशाल के धाम जाने के मार्ग पर हमें इन पंच प्रयाग के दर्शन होते हैं। देव प्रयाग, रुद्र प्रयाग, कर्ण प्रयाग, नन्द प्रयाग और विष्णु प्रयाग।


हम बचपन से इन धामों, इन सुर सरिताओं और पंच प्रयाग का महात्म्य सुनते रहें हैं और अब संयोग बन पाया है कि हम इन धामों की ऊर्जा साक्षात महसूस कर सकें।


2 June, 2024

सूबेदारगंज देहरादून एक्सप्रेस से 14 घंटे की यात्रा करके हम लोग हरि के द्वार हरिद्वार पहुंचे। हरिद्वार से ऋषिकेश की 25 किलोमीटर की दूरी 2 घंटे में पूरी करके हम लोग अपने विश्राम स्थल पर पहुंचे है, जो जानकी झूले से 200 मीटर की दूरी पर है। विश्राम के बाद शाम को मां गंगा का दर्शन पूजन किया जाएगा और कल प्रातः काल मां यमुनोत्री धाम के लिए प्रस्थान किया जाएगा।

ऋषिकेश में गंगा स्नान, पूजन वंदन।

जय मां गंगे।

ईश्वर हम सभी का कल्याण करें।


3 June, 2024

आज हम लोग ऋषिकेश से चार धाम यात्रा के लिए प्रस्थान कर रहे हैं ।

प्रथम चरण में हम लोग आज टिहरी, बरकोट होते हुए जानकी चट्टी में विश्राम करेंगे। जानकी चट्टी यमुनोत्री का बेस कैंप है। कल हम लोग मां यमुना और उनके भाइयों यम देव व शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।


अदभुत, अडिग, अदम्य, अकल्पनीय और खूबसूरत हिमालय को देखकर मन मंत्रमुग्ध है।

हम लोग भागीरथी के साथ साथ यमुनोत्री की तरफ़ आगे बढ़ रहे हैं। यह कल्पना से भी परे है कि हजारों वर्षों पहले हमारे ऋषि, मनीषी व हमारे पूर्वज इन मार्गों की खोज की और इन धामों की स्थापना की।


हम लोग अभी यमुनोत्री से लगभग 30 किलोमीटर पहले है। चीड़ के घने जंगल के बीच से सर्पाकार रास्ते। तापमान 33 डिग्री। हवा में चीड़ की खुशबू समाहित है। एक सलाह यात्रा पर आने वाले मित्रों के लिए यह है कि चलने से पहले बेहद हल्का नाश्ता करके निकलें। अपनी गाड़ी लाने की बजाए ट्रैवलर गाड़ी ले लें।


जय हो यमुनोत्री धाम की ।



आज हम लोग फूलचट्टी पहुंच गए हैं। गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस में ठहरे हैं। सामने यमुना जी कल कल गर्जना करते हुए नीचे बढ़ रही हैं। सामने स्वेत धवल बर्फ से आच्छादित हिमालय दिखाई दे रहा है। और हिमालय की गोद में स्थित यमुनोत्री धाम की रौशनी दिख रही है। रास्ते में भारी बारिश और ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा। बारिश थम गई है। उम्मीद है कि कल की हमारी यात्रा में कोई दिक्कत ना पड़े। यहां तापमान 11 डिग्री तक गिर गया है, जबरदस्त ठंडक है। अपेक्षा से अधिक। दोपहर बाद यहां प्रायः बरसात हो जाती हैं।


यहां आने वाले मित्र गरम कपड़े भरपूर रखें। रेन कोट जरूर रखें। हो सके तो हरिद्वार या ऋषिकेश सुबह 5 बजे छोड़ दें ताकि समय से आप जानकी चट्टी या फूल चट्टी पहुंच कर सेटल हो जाए। फूल चट्टी में गढ़वाल मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस है, रुकने के लिए बेहतरीन है। यदि स्वयं सारी व्यवस्था कर रहे हों तो इसकी ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं, अन्यथा टूर ऑपरेटर आपके रुकने की व्यवस्था करेगा।


बारिश में बिजली बार बार जाती रही। साथ में एक छोटी टॉर्च रखना बेहतर होगा। यहां नेटवर्क और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है। जियो बेहतर काम कर रहा है। बी एस एन एल के भरोसे कतई न रहें।

हम रास्ते के लिए ठंडाई, सत्तू, नीबू, डेट्स, नट्स, चना, गुड वगैरह लेकर चले थे, वह बहुत काम आया है। यात्रा के नाम पर चीजें महंगी मिल रही हैं। बेहतर हो, यहां आने वाले मित्र अपना लॉजिस्टिक बैक अप लेकर आएं।


जय हो यमुनोत्री धाम की।


4 June, 2024

जय यमुनोत्री धाम की। हम पैदल चढ़ाई कर रहे हैं। अभी 2.5 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई है।

आप लोगों के आशीर्वाद से आज हम लोग यमुनोत्री धाम की कठिनतम चढ़ाई पैदल पूरी करके यमुनोत्री धाम में मां यमुना, उनके पिता सूर्य, भ्रातागण यम देव व शनि देव का आशीष प्राप्त किया।

कल हम लोग उत्तरकाशी पहुंचेंगे और 6.6.24 को गंगोत्री धाम पहुंचकर मां गंगा का आशीष प्राप्त करेंगे।

हिमालय की सुंदरता और आकर्षण की व्याख्या के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। बस यही कह सकता हूं हर किसी को जीवन में हिमालय की गोद में कुछ दिन जरूर बिताना चाहिए।]


5 June, 2024

कल हम लोग बड़कोट के पास एक हिल रिजॉर्ट में रूके। पहाड़ के नीचे खेत में तम्बू लगा दिया है। तम्बू में ही अटैच्ड टॉयलेट और सारी व्यवस्था दे दिया है।

आज हम लोग उत्तरकाशी जाएंगे और गुप्तकाशी में भगवान अर्धनारीश्वर व जगद्जननी माता पार्वती का आशीर्वाद लेंगे और कल मां गंगा के धाम गंगोत्री जायेंगे। देवभूमि उत्तराखंड की केदारघाटी में अर्धनारीश्वर मंदिर स्थित है, जहां भोलेनाथ ने पांडवों को अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन दिए थे. इस मंदिर की स्थापत्य शैली केदारनाथ धाम के समान है. मंदिर परिसर के भीतर मणिकर्णिका कुंड है, जिसमें निरंतर दो जलधाराओं का संगम होता है. उन्हें गंगा और यमुना कहा जाता है. दरअसल मंदिर के निकट ही बाई ओर से गुप्त गंगा और दाई ओर से गुप्त यमुना बहती है. इन दोनों का मिलन मणिकर्णिका कुंड में होता है.


पांडवों ने इस मंदिर के नजदीक स्थित मणिकर्णिका कुंड से भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए जल लिया था. क्योंकि भोलेनाथ पांडवों से क्रोधित थे और उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए जैसे ही उन्हें यहां पांडवों के पहुंचने का संकेत मिला, वह यहां से गायब हो गए. उसके बाद पांडवों ने इस स्थान पर माता पार्वती का ध्यान किया और माता के ध्यान के बाद भोलेनाथ ने यहां अर्धनारीश्वर रूप में उन्हें दर्शन दिए. तब से भगवान यहां अर्धनारीश्वर रूप में विराजमान हैं.


चार धाम यात्रा द्वितीय चरण।
गंगोत्री धाम यात्रा के लिए आज हम लोग उत्तरकाशी पहुंच गए हैं। आज रात हम विश्राम करेंगे और कल सुबह प्रातः काल हम लोग मां के धाम पहुंचेंगे और दर्शन पूजन के उपरान्त उत्तरकाशी वापस लौट आएंगे।

6 June, 2024


उत्तरकाशी से 10800 फीट की ऊंचाई पर स्थित मां गंगा के धाम " गंगोत्री धाम" की यात्रा पर आज हम लोग निकल गए हैं। प्रकृति ने जहां यमुनोत्री घाटी को पाइन (चीड़) के जंगल से सजाया है, वहीं गंगोत्री घाटी को देवदार और सेव से सजाया है। पृथ्वी पर स्वर्ग अकेले कश्मीर में ही नहीं है, देवभूमि उत्तराखंड में भी है। देवभूमि की सुंदरता अद्वितीय, अकल्पनीय और अकथनीय है, इसकी केवल अनुभूति की जा सकती है।

मां गंगा हम सभी का कल्याण करें।


चार धाम यात्रा द्वितीय चरण सम्पन्न।

आप लोगों के आशीर्वाद से हम लोग पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज गंगोत्री धाम पहुंचकर मां गंगा के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करने में सफल रहे।

कल शाम से ही उत्तरकाशी और गंगोत्री घाटी में बारिश हो रही थी, परन्तु आज मौसम बिलकुल साफ रहा और आनंदपूर्वक स्नान, ध्यान, दर्शन व पूजन हो सका।


आप लोगों के आशीर्वाद व शुभकामनाओं के लिए आभार।


दूसरा भाग पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -


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