20 दिसम्बर का दिन मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया। 20 दिसम्बर 1983 को पिताजी द्वारा दिए गए 700 रूपए लेकर मैं एअर फोर्स में भर्ती होने के लिए घर से निकला था। 2 जनवरी 1984 को कानपुर सेंटर से एअर फोर्स में भर्ती हुआ और जीवन की धारा ही बदल गई।
फौज से हाईकोर्ट तक के सफर के हर पल का मैंने भरपूर आनंद लिया। अपने माता-पिता, स्वजनों और आप मित्रों के आशीर्वाद, सहयोग और ईश्वर की असीम अनुकम्पा से मैंने अपने जीवन को जिस तरह जिया, उस पर मुझे पूर्ण संतोष है। आशा करता हूं कि आगे भी आप स्वजनों और मित्रों का स्नेह, सहयोग और आशीर्वाद प्राप्त होता रहेगा।
20 दिसम्बर 1983 को पिताजी द्वारा दिए गए 700/- सात सौ रूपये लेकर एअर फोर्स में भर्ती होने कानपुर के लिये निकला था। 2 जनवरी 1984 को एअर फोर्स में बतौर वायु सैनिक भर्ती हुआ। एक सैनिक से माननीय उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तक का 40 वर्षों का सफर चुनौतियों से भरा रहा। यह आप मित्रों का स्नेह, सहयोग और शुभकामनाएं ही हैं कि मैं हर चुनौती का सामना करने में सफल रहा। मैंने अपने अब तक के सफर को पूरे संतोष और मस्ती के साथ बिताया। हर लम्हे का आनंद लिया। बुरे वक्त में भी मैंने कभी अफसोस नहीं किया।
1985 में जोधपुर में अपने पहले वेतन से खरीदी गई मेरी साइकिल आज भी मेरे पास है। बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार।
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