मेरे मन मे कई बार यह प्रश्न उठता है कि क्या हमें बेहतर शासन प्रशासन व मूलभूत सुविधाओं का अधिकार नहीं है?
ये सही है कि जब हम अधिक उम्मीद करते हैं, और हमारी उम्मीदें दम तोड़ने लगती हैं तो हमें बहुत निराशा होती है। ऐसा लगता है कि शासन, सत्ता और राजनीति का चरित्र ही अलग होता है। जो भी उस सिंहासन पर बैठता है, उसी के रंग में ढल जाता है। हम बार बार बदलाव करते हैं, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात।
मेरी व्यक्तिगत राय मे इस देश और प्रदेश के मुखिया के पद पर श्रेष्ठतम लोग बैठे हैं। लेकिन फिर भी मैं वर्तमान परिस्थितियों में कई बार बहुत उद्वेलित महसूस करने लगता हूँ।
जब प्रदेश मे कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक पर संगठित लूट, वसूली, एक्सटोर्सन और भ्रष्टाचार मे लिप्तता के आरोप लग रहे हों। पैसा न देने पर पुलिस अधीक्षक द्वारा लोगों को गोली मरवा देने का आरोप लग रहा हो।
कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार बदस्तूर जारी हो बल्कि बढ़ गया हो, पुलिस और प्रशासन निरंकुशता का खुलेआम प्रदर्शन कर रहा हो, आपदाओं मे अवसर की तलाश मे गिद्ध दृष्टि गड़ाये अधिकारी कोरोना के नाम पर भी अरबों रूपये की लूट कर चुके हों और उनके खिलाफ आज तक एक एफ आई आर तक दर्ज न हुई हो, कोई जांच न हुई हो, कोई कार्रवाई न हुई हो तो समझा जा सकता है कि आज देश प्रदेश के लोग किस अवसाद की स्थिति से गुजर रहे हैं। लोगों के मन मे बेचैनी है।
रोटी, कपड़ा, मकान, सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और रोजगार जैसी मूलभूत जरूरतें पूरा करने में सरकारें असफल रही हैं। आज आम आदमी हर जगह लूटा जा रहा है।
पार्टी पदाधिकारी भी जनता की आवाज उठाने की जगह आपदा मे अवसर तलाश रहे हों, शासन प्रशासन के साथ बराबर के हिस्सेदार हों, तो निश्चित मानिए कि राज काज सही नहीं चल रहा है।
सत्ता दल के लोगों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि इन बिन्दुओं पर लोगों की राय लें और सरकार तथा सत्तारूढ़ दल के कर्ताधर्ता लोगों तक उसे पहुंचाने का कष्ट करें और बेहतरी के लिये अपना योगदान दें।
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