गलवान शहादत की पहली बरसी पर वीर शहीद सपूतों को भावभीनी श्रद्धांजलि ।
चीन एक दोगला राष्ट्र है। वह हमें पूर्व में भी धोखा दिया है। इस बार भी हम उसके धोखे में आकर अग्रिम मोर्चों से कुछ पीछे आ गए लेकिन वादे के बावजूद चीन ने डिसइंगेजमेंट की शर्तों का पालन नहीं किया है। गोगरा, हाट स्प्रिंग और डेफ्सांग मे चीनी सेना की मौजूदगी की खबरें आ रही हैं।
यह सही है कि हमने चीन को और विश्व को इस बात का बखूबी अहसास करा दिया कि यह 1962 का भारत नहीं है। हमने सेना के आधुनिकीकरण की दिशा मे बेहतरी की है। लेकिन हम इतने से संतुष्ट नहीं हो सकते।
विश्व में अपनी जगह बनाने के लिए हमें सेना को और अधिक समर्थ बनाना पड़ेगा। अधिक सैन्य साजोसामान के लिए हमें एक मजबूत अर्थव्यवस्था की दरकार है।
अर्थव्यवस्था के साथ साथ नीति निर्धारण मे भी स्पष्टता व दूरदर्शिता होनी चाहिये। चीन और पाकिस्तान तभी तक मित्रवत रहेंगे, जब तक हम उन्हें ठोंकने मे सक्षम होंगे।
हमारे देश में वह क्षमता है कि हम विश्व की अगुवाई कर सकें लेकिन हमारे देश मे जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र, आजादी और नेतागिरी के चलते यह सम्भव होता दिख नहीं रहा है।
जिस देश की बहुत बड़ी युवा शक्ति कोई उत्पादक कार्य या कोई रचनात्मक कार्य करने के बजाए समाज का दोहन व शोषण करने मे मशगूल हो, देश की एकता और अखण्डता को पलीता लगाने में मशगूल हो और अलगाववाद और आतंकवाद को हवा देने मे मशगूल हो, वहां प्रगति की आशाएं दम तोड़ने लगती हैं।
हमें जापान, साउथ कोरिया, सिंगापुर, जर्मनी, फ्रांस व अन्य विकसित राष्टों के नौजवानों से और अपने ही देश मे विज्ञान, तकनीक, आई. टी. व अन्य क्षेत्रों में कार्यरत नौजवानों से सीख लेनी चाहिए।
युवा पीढ़ी को इन सब कमजोरियों से निकलकर सृजन की दिशा मे तेजी से बढ़ना होगा तभी हम अपने सपनों का भारत बना पाएंगे, जिसे दुनिया की कोई ताकत झुका न सके, यही हमारे शहीदों के सम्मान में सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जय हिंद।
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